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मल्लू आंटी अपने पती के साथ गर पर सो रही थी और वो मनी मन सोच रही थी कि मैं इतने लोगों से चुद चुकी हूँ लेकिन अपने पती के साथ चुदने का मज़ा अलग ही है।
वो मनी मन अपनी सुआगरात को याद करती है तो आईए देखते हैं मल्लू आंटी की सुआगरात उनके मन में जाके।
रमेश बोलता है विवा की सारी रस्मे पूरी हो चुकी है अब हम कुछ भी कर सकते हैं मल्लू.
मल्लू कुछ भी से आपका क्या मतलब है रमेश? रमेश बोलता है कि तुम बहुत जल्दी समझ जाओगी।
रमेश मल्लू को गोद में उठा कर बिस्तर में लिटा देता है और मल्लू के ऊपर आकर उसके होटों पे अपने होट रख देता है।