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दिन कुछ खास था, सुबह से ही मौसम कुछ अलग सा था, जैसे आज कुछ नया होने वाला हो।
मैं कॉलेज के कैमपिस, मैं बिछी धूप को महसूस करते हुए चल रही थी, जब अचानक मेरी नजरें उसे देख पाईं।
वह एक पुराने पेड के नीचे खड़ा था और उसका चेहरा कुछ अजीब सा लग रहा था। उसकी आँखों में गहरी चुप थी, जैसे वह कुछ सोच रहा हो या फिर अपनी ही दुनिया में खोया हुआ हो।
मैंने उसे पहले कभी ज्यादा ध्यान से नहीं देखा था, लेकिन आज कुछ था जो मुझे खीचता चला गया। उसकी आँखों में एक अजीब सा आकरशन था और मैं उसे देखने से खुद को रोक नहीं पाई। मुझे लगता है कि उसने मुझे देखा, लेकिन फिर भी
उसकी नजरें मुझे से तक्राई नहीं, वो बस वहीं खड़ा रहा और मैं चुबचाप उसके पास से गुजर गई। लेकिन उस दिन के बाद मैंने उसे कई बार देखा वीहा हमेशा अकेला रहता, हमेशा कुछ सोचते हुए और मैं, जो हमेशा किसी न किसी के साथ रहती