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दादा मुखरी थी बाड़ी सी रहा है

दादा परता आछे दे?

पंबुर चाय तो बादे लागा लो

पूरे डूटड़ी बोलती ले ले रहा है

ती परता था विस्तव देखते बादे नहीं आगूर

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