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बगबाँ के जयाच से गए और रोधरी के समसारी से आज तो सागर के जान बहिगर नहीं बति जरूरी तना कि कितमत अगला बाद में उपर साध जीविएं थी।
अम्मा चीके लिए तर बास मा पेंग काहे नावद एक विदमा से आप अलला के शादी कर दार नदिया।
परिश्ट परिश्ट...परिश्च परिश्च...परि�
परिश्च परिश्च...परि�
परिश्च परिश्च...परि�