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नाच सुन के छरतायं

अख़लाजलनायं परकालकाल...�

सबकालकाल...का�

सबकालकाल...का�

मेहालीर कुनो समौश्या नहीं, वो अस्तास्ते बिचक्खरमा उड़ेछे

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