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जिन्दगी धीली धीले मुझे ऐसे दो राहे पर लाकर खडी करने वाली थी, जहांपर एक रास्ता घरीवी, विरोजगारी और भुकमरी की तरव जाता है, और दूसरा रास्ता जाता है जहांपर ऐश, आराम, दौलत की तो कोई कमी नहीं है.
पर उस रास्ते पर कदम रखने से फ़ेले, आपको अपनी अभी तक की जिन्दगी जो आपने जी है, उसे भूलना होगा. अपने विचारों और खायलों को फॉर्मैट मारकर, एक नया प्रोग्राम अपने दिमाग में फिट करना होगा.
राजीव, तो आप क्या चाहते हैं?
और कितना पीओगे राजीव तुम? तुम चॉप छोड़ना चाते थे न? छोड़ दी? अब बस करो.
इस शहर में मेरा पाला है न, सिर्फ लूजर्स लोगों से पढ़ा है. और पता है वो सारे लूजर्स मुझे भी लूजर वनाना चाते थे. मुझे लूजर की तरह देखना चाते थे.