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अधियार, क्या बताओं गया? मैं लगा पांग होता रहे हैं ना, कि क्या पर यहां खाना भी बनाना हैं.

पर साथ तो कोई नहीं है, साथ अगर घर मेरे खासे साहाँ तो डिप्री दिगाएं गया होंगे, साहाँ पे बेदे ही ख़िलिया होंगे घर.

तो मैं बनाते हूं, इसकी किलिए चाहाँ थोड़ा सा, और फिल्म बनाते हूं, साही पैसा भी नहीं देतें, जीतना लगतो, बांग करवा करते रहते हैं, छाड़ो, मारो, खाना बनाओ, बर्टन साप करो, पात्रों सो साप करो,

ऐसे क्या बताओं इन दोलों मां, साही पिकब्री बोलूं की, पेमें पानावी की मिनिम बठाया रहा है, तो आतमी, तो मैं चले जाओं गी, बोलों दे, तब माने ही बनताू.

इतना बनता, इसने क्या बताओं, साले वो, इतना पैसे कमाते रहते हैं, खेल बनाओं, मुझे दीनी हजाद मैं खाया रही है अभितबूल, सब नपराण्डों को पान पाते रही हैं, और मुझे नीवी बनाओं.

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