Komal was weeping in the field of people without recognition, then brought it to the house and fucked

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प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों पर प्रप्तियों �

क्यूं तोड़ा हुआ बुचा मेरे खेट में गुशी क्यूं था?

नहीं, किसी को नहीं तोड़ते, किसी का भी खाते हूँ, तू क्या नहीं था?

उससे गिरें चुप चब जबान नीची रखें.

बोल, क्यूं गुशी मेरे खेट में?

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