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अपने पर नहीं पर प्रशाँच नहीं पर प्रशाँच... नहीं
पर प्रशाँच नहीं पर प्रशाँच नहीं...पर प्रशाँ
तो थी चूटी लेकिन उसका गद्रायावा बदन बड़ी बड़ी उर्टों को भी मात दे दे ता था।
उसका लहरा के चलने से बने की नियत डूल गई।
लेकिन चोटी बहूँ की नियत तो उसके बिस्तर पे जा चुकी थी।